यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे |

यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे क्योंकि अन्ततोगत्वा सुन्दरता परमात्मा की ही सम्पत्ति हैं | जब आँखों में प्रेम होता है तो एक कुरूप चेहरा भी सुन्दर बन जाता हैं |
यदि तुम मनुष्य के अन्दर देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप सौन्दर्य के घर में जाना चाहिए |
बाउलो कहते है - यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | प्रेम में अधिक सौन्दर्य बोध हैं , वासना में लगभग सौन्दर्य -बोध है ही नही | वासना कुरूप है , और तुम इसका निरिक्षण कर सकते हो |जब कोई तुम्हारी ऑर वासना की दृष्टि से देखता हैं , तो क्या तुमने उसका चेहरा देखा हैं ? वह कुरूप हो जाता है | जब वहा आँखों में वासना होती तो एक सुन्दर चेहरा भी कुरूप बन जाता है | और इसके ठीक विपरीत भी घटता है : एक कुरूप चेहरा भी जब आँखों में प्रेम होता है , सुन्दर बन जाता है | आँखों में प्रेम होने से चेहरे को पूरी तरह से भिन्न एक नया रंग मिल जाता है ,एक भिन्न प्रभा मंडल उत्पन्न हो जाता हैं | वासना का आभा मंडल काला और कुत्सित होता है | किसी की ऑर वासना से देखना ही कुरूपता हैं | वह सौन्दर्य की खोज नही है |कवि गुरु रविन्द्रनाथ टैगोर ने कहा " सौन्दर्य ही सत्य हैं " और उन्होंने ठीक ही कहा है | वह बाउलो से अधिक प्रभावित थे | वास्तव में वह ही प्रथम व्यक्ति थे , जिन्होंने बाउलो को पश्चिम से परचित कराया , वह प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने बाउलो के कुछ गीतों को अंग्रेजी में अनुवाद किया | वह स्वंय ही वक तरह के बौल थे | वह कहते है " सौन्दर्य ही सत्य है |" यदि तुम सुन्दरता की खोज करोगे तुम सत्य को उपलब्ध हो जाओगे | तुम्हारे अन्दर जितना अधिक सौन्दर्यबोध होगा , तुम सुन्दरता के प्रति जितने अधिक संवेदनशील होगे , तुम उतने ही अधिक संतुलित और लयबद्ध होते जाओगे |
यदि तुम मनुष्य का अंतरतम देखना चाहते हो तो तुम्हे रूप और सौन्दर्य के शाश्वत घर में प्रवेश करना होगा | उसके सभी मार्ग ब्रमाहंड में एक दूसरे को कटे हुए जहा जीवन , मृत्यु के सात्घ रहता है और होश , पागलपन के साथ , सभी के पार चले जाते है | उसके सभी रास्ते सभी सीमाओं का अतिक्रमण करते है , जहा जीवन और मृत्यु साथ - साथ रहते है , और होश , पागलपन के साथ | परमात्मा में मृत्यु और जीवन दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए अन्धकार और प्रकाश दो चीजे नही है | परमात्मा के लिए प्रारम्भ और अन्त भी दो चीजे नही है | परमात्मा का अर्थ है समग्रता:परमात्मा सभी की चिन्ता करता है |
इसलिए जब तुम परमात्मा के निकट जाते हो , तुम खोओगे कुछ भी नही , और सब कुछ पा लोगे | एक असली धार्मिक व्यक्ति वह होता है जिसका कोई अतीत नही होता , जिसकी कोई आत्मकथा नही होती , जो निरन्तर नया होता हैं , उसका प्रत्येक क्षण परमात्मा के साथ फिसलते हुए चलता हैं | वह फ़िक्र करता ही नही , जो घटना घट चूकि वह घट चूकि , मामला खत्म हुआ | अब वहा पूर्ण विराम लगा दो पीछे मुडकर देखो ही मत | बढ़ते चलो |
जब तुम स्वंय अपनी गहराई में पहुचते हो , जब तुम अपने हृदय के केंद्र का स्पर्श करते हो , तो तुम उस भूमि के क्षेत्र पर आ जाते हो , जहा से फिर जुदाई होती ही नही है | वहा , तुम न केवल परमात्मा के साथ हो , तुम उसके साथ मिलकर एक ही हो जाते हो - क्योंकि तुम उसके ही एक खंड हो | यह "वह " ही है जिसने तुम्हारे समान बनकर अपने को अभिव्यक्त किया है | धन्यभागी और भाग्यशाली होने का अनुभव करो , ' उसने ' भी तुम्हे अपने अनेक रूपों में से एक रूप में चुन लिया है |
अपनी आँखे बन्द करो और उसे पकड़ने का प्रयास करो वह हाथो से फिसला जा रहा है🌹🌹🌹🌹🌹

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