नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे। त्वया हिंदु भुमे सुखंवरदितोहम्।
छात्र जीवन मे कुछ समय राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की शाखा गया था और वहां केवल देशभक्ति के ही संदेश और शारीरिक चुस्ती के खेल सिखाए जाते थे अत: जब संघ के सम्बन्ध मे अनर्गल विलाप सुनता हूँ तो मन व्यथित होता हैl संघ के सम्बन्ध मे एक अच्छी जानकारी प्राप्त हुई है जो मुलत: प्रेषित है===
कृपया जो लोग संघ को जानते नही उनसे निवेदन है कि,"संघ के कार्यालय मे कभी जाऐंl
जिंदगी लगा देने वाले
राष्ट्रीय नमः स्वाहा
एक मंत्र
खुद झाड़ू लगाना
खाना खा कर थाली धोकर करीने से रख देना।
चाय भी पीयो किंतु पैसे खुद की जेब से देना और उसे चंदन शुल्क कहना।
दो चार जोड़ी कपड़े मे जीवन निर्वहन।
एक बगल थैला भर का वैभव ।
क्या जानते हैं आप संघ के बारे में?
संत जीवन तपस्वी जीवन जीते हैं संघ के प्रचारक
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे ...
से दिन की शुरुआत होती है।
योग..
महापुरुषो पर सम्बोधन
हर तिथि मनाना ।
राष्ट्र के लिए वो केरल के आततायी और कश्मीरी आतंक के गढ़ो मे कही भी मैदान मे ध्वज महाराज के समक्ष प्रार्थना गाते खुद के पैसों से खरीदे गए गणवेश में वो बच्चे वो नवजवान वो बुजुर्ग ।
क्या जानते हैं आप संघ के बारे में ?
लाठी की तुलना आई एस आई एस से?
वो जंगलों में धर्मांतरण रोकने हेतु दर दर प्रकल्पों मे भटकते प्रचारक।वाल्मीकियों के लिए विविध योजनाओं मे भागीदार संघ।
वनवासी कल्याण के सेवा बस्ती मैं बच्चों में संस्कार सिंचित करता संघ।सरकार के हर जनकल्याण की योजना के क्रियान्वयन मे सकारात्मक अभिगम।
चाहे कोई भी पार्टी हो कही भी स्वयं सेवक होगा तो तुरंत मदद करेगा
कोई भी धर्म हो ....कहीं आफत आ जाये तो
न जाने कहाँ से किसकी सूचना से जवाबदारी संभाल लेते वो स्वयं सेवक।
और ये स्वयं सेवक किसी होटल मे नही रुकते।
उन्ही बस्तियों मे किसी साथी के यहां खाना खा लेते हैं
वहां कोई दलित नही।
कोई पंथ नही ।
एक धर्म..... भारत। हिन्दुस्तान ।
मिथ्या बाते कि वहाँ किसी धर्म के विरुद्ध बाते होती हैं।
वहाँ अपने धर्म की आसक्ति लंबी की जाती है।
और वो धर्म है .......भारत
ऐसे ही नरेन्द्र मोदी जैसा विरल व्यक्तिव नही पैदा होता
और ऐसे तो कितने ही नरेंद्र मोदी संघ में हैं ।
और भी कई संस्थान हैं जो गद्दारों की पौध ऊगा रहे हैंl
संघ नरेंद्र मोदी देता है
अटल देता है
संघ अनगिनित मुख्यमंत्री देता है
संघ विचार देता है
शर्म आनी चाहिए संघ से तुलना पर।
आप लठ वो भी अपनी जेब से खरीदे हुऐ की तुलना लूट खसोट कर कमाए गए धन के बल पर रासायनिक हथियारों का प्रयोग कर रहे आई एस् एस के आतंकियों से कर रहे हो।
अगर देशद्रोह का सिंचन हो रहा है तो जरूरी है
राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत राष्ट्र वाद का प्रखर प्रहरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी जरूरी है
नियमित प्रार्थना की दो पंक्ति ध्वज महाराज से क्षमा प्रार्थना करते हुवे...
नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे।
त्वया हिंदु भुमे सुखंवरदितोहम्।
Comments
Post a Comment