जातिवाद फैलाने वालों को इस पोस्ट से मिर्ची जरूर लगेगी, लगनी भी तो चाहिए....!!


मैं रोजाना Whtsapp or Facebook, Social Media पर
देखता हुं कि :-
.
कुछ राजपूतगिरी करते हैं और कहते हैं कि राजपूतो ने इतिहास में बहुत
बलिदान दिये हैं
अपनी प्रोफाइल फोटो पर गर्व से लिखते हैं
"I am a Proud Rajput"
.
कुछ जाट भी कम नहीं हैं वे जाटों का इतिहास बताते हैं
और लिखते हैं "जाट सबका बाप" ।
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कुछ ब्राहम्ण और कुछ गुजर भी हैं जो जातिवाद को आगे रख कर
अपने आप को उच्च बताते हुए पोस्ट करते हैं ।
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मैं उन सभी लोगों को कहना चाहता हुँ कि
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.तुम सबसे पहले हिन्दू हो ये क्यों भूल जाते हो
.
जो राजपूत जातिवाद की पोस्ट करते हैं वो
.
अब ये भी जान लो
इतिहास गवाह है की राजपूतो ने कभी दूसरे राजपूत की मदद नहीं की
बस सब अपनी मूंछ पर ही ताव खाते थे ।
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पृथ्वीराज चौहान को धोखे से मरवाने वाला भी राजपूत ही था .
महाराणा प्रताप को मरवाने वाला भी उनका खुद का भाई और बेटा ही
था वो भी राजपूत ही था जितने राजपूतो में वीर हुए थे उतने राजपूतो
में गद्दार भी हुए हैं
श्री राम भगवान राघुवंशी थे यानी की क्षत्रिय थे पर शर्म आती है
कि देश में इतने क्षत्रिय राजपूत, होते हुये भी राम मंदिर आज
राजनीती का अखाडा बनकर रह गया है ।
मुग़ल जब एक किले पर हमला करते तो दूसरे किले के राजा तमाशा
देखते थे राजपूत क्षत्रिय राजाओ में यही सबसे बड़ी कमजोरी थी
जिसका फ़ायदा मुग़ल उठाते थे ।
हमने खुद कभी आपस में एक दूसरे की कभी मदद नहीं की इसलिए
मुगलो ने 800 साल तक हम पर राज किया ये एक कड़वी सच्चाई है
जाट और गुज्जर भी बलिदान की बाते करते हुए नहीं थकते तो सुनो
तुम्हारे में भी गद्दार कम नहीं थे राजाओ के ख़ुफ़िया रास्ते बताने वाले
भी जाट और गुजर ही थे वो खुद मंत्री थे पर राजा बनने के लिए
अंग्रेजों और मुगलों के हाथो बिक जाते थे ।
हम तो ब्रह्मा के दूत हैं कहने वालों, हम तो सर्वश्रेष्ठ हैं, हम तो
सर्वोच्च हैं, हम तो उच्च हैं,
ब्राह्मण की बाते करने वालो तुम्हें भी एक बार अपना इतिहास देख
लेना चाहिए ।
ब्राह्मणों ने कभी किसी दूसरी जाती वालों का सम्मान नहीं किया,
और दलितों को तो मंदिर भी नहीं जाने देते थे । ब्राह्मणों की छुआछूत
के कारण विश्व और देश में हिन्दुत्व को बदनामी मिली और ईसाईयों
और मुसलमानों को दलित हिन्दुओं को धर्मपरिवर्तन करने में सफलता
मिली । हिन्दुत्व का जो नुकसान हुआ उसमें ब्राह्मणों की भी एक
भुमिका है, चाहे वो मानें या ना मानें ।
हम तो महाराजा अग्रसेन की संतानें हैं, हम तो जैन हैं, हम तो महावीर
की संतानें हैं, हम तो जैनेंद्र की संतानें हैं, हम तो मारवाड़ी हैं, आदि
आदि देश का अधिकतम व्यपार, पैसा, धन, दौलत हमारे हाथों में है,
हम तो देश की अर्थव्यवस्था के मालिक हैं, हम ना हों तो देश कैसे
चलेगा, राजा युधिष्ठिर से लेकर आज की सरकार हमारे पर निर्भर है
आदि आदि . .
हमें वैश्य(बनिया) होने पर गर्व है ।
हम तो ब्राह्मण हैं ।
हम तो क्षत्रिय हैं ।
हम तो राजपूत हैं ।
हम तो जाट हैं ।
हम तो वैश्य हैं ।
बस करो बाँटना अपने आपको ।
अब तो सुधर जाओ हिन्दुओं ।
देश को जातिवाद में बाँटने वाले हम ही तो हैं जो धर्म से पहले अपनी
जाति पर गर्व करते हैं ।
फिर कुछ अपने आप को क्षेत्रवाद में भी बाँटते हैं, कश्मीरी, पंजाबी,
हरियाणवी, राजस्थानी, मराठा, गुजराती, उतराखंडी, पहाड़ी आदि
आदि , बस करो, बन्द करो, बहुत हो गया, बन्द करो अपने को और
अधिक बाँटनें की बातें ।
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मैंने ये पोस्ट इसलिए बनाई है ताकी, "हे मुर्ख हिन्दुओं" अब तो
जागो . . . जातिवाद छोड़ कर हिन्दू बनो ।
इसी जातिवाद के चलते 800 साल तक मुगलों ने, 200 साल तक
अंग्रेजों ने, और अब आज़ादी के बाद 67 सालों से जातीवादी
राजनैतिक दलों ने देश को लूट लिया है ।
सोने की चिड़िया कहलाने वाला विश्वगुरु हमारा भारत देश, जो दुनिया
का बाप था, आज कहाँ से कहाँ आ गया है ।
आज भी भारत में गरीब सड़कों पर भूखे सो रहे हैं ।
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थोड़ा दिमाग से जरूर सोचो एक बार अपने देश के लिए ।
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अगर मेरी इस पोस्ट से किसी को मिर्ची लगी हो तो, मुझे माफ़ कर
सकते हो, या फिर अपने आप को सुधार लो.....
॥ वन्दे मातरम् ॥
||धन्यवाद||

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