कौन होते है अघोरि



#अघोर

महाकाल के जीवित रूप अघोरियो के इन रहस्यों को जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएँगे !!!

जाने अघोरियो की रहस्यमय दुनिया के बारे मे!!!

अघोर हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है। इसका पालन करने वालों को अघोरी कहते हैं। ये भारत के पूराने धर्म “शैव” (शिव साधक) से संबधित है। अघोरियों को इस पृथ्वी पर भगवान शिव का जीवित रूप भी माना जाता है। शिवजी के पांच रूपों में से एक रूप अघोर रूप है। अघोरियों का जीवन जितना कठिन है, उतना ही रहस्यमयी भी। अघोरियों की साधना विधि सबसे ज्यादा रहस्यमयी है। उनकी अपनी शैली, अपना विधान है, अपनी अलग विधियां हैं। अघोरी उसे कहते हैं जो घोर नहीं हो।

अघोरियों के बारे में ये सच जान सिहर जाएंगे आप

कौन होते है अघोरि

अघोरी देखने में जितने डरावने होते हैं, उनके काम उससे भी डरावने। उनका रहना, खाना-पीना आम इंसानों से बिलकुल अलग होता है। श्मशान अघोरियों का प्रिय स्थान है और यहां जलते शव इनका प्रिय भोजन। अघोरी कभी भी किसी से कुछ नहीं मांगते।अघोर दरअसल एक पंथ है और इस पंथ के अनुयायी अघोरी। अघोरी शैव धर्म से जुड़े होते हैं। अघोर पंथ में भगवान शिव की साधना की जाती है। अघोरियों का एकमात्र ध्येय अपने आराध्य शिव की साधना और उन्हें पाना होता है। अघोरियों का अधिकतर समय शमशान में साधना करते ही बीतता है। अमूमन ये क्रिया रात में ही करते हैं।

अघोरियो से जुड़े रहस्य

1.अघोरियों को किसी भी चीज से घृणा नहीं होती। इसीलिए ये कैसा भी भोजन कर लेते हैं। जानवरों के मांस से लेकर मनुष्य का मांस तक ये बेहद चाव से खाते हैं। गाय का मांस छोड़ इन्हें कुछ भी खाना गलत नहीं लगता।अकेले मे रहने वाले अघोरि अपनी ही दुनिया मे धुनी रमाये रहते है ।इन्हें दूसरी दुनिया से कोई वास्ता नहीं होता।

2. अघोरियो के लिए काली चौदस की रात सबसे महत्वपूर्ण होती है। इस दिन अघोरी  अघोर साधना कर भटकती आत्माओं को अपने वश में करते हैं। इस दिन अघोरी चार खोपड़ी अलग-अलग दिशाओं रखते है और एक खोपड़ी चार खोपड़ीयो के बीच में रखते है ।

3.मौत से सभी को डर लगता है, लेकिन अघोरी मृत्यु के गूढ़ रहस्य को जानने की कोशिश में लगे रहते हैं। मौत के बाद आत्मा का क्या होता है? आत्मा कहां चली जाती है? इसे जानने के लिए अघोरी शमशान घाट में तीन तरह से साधना करते हैं। पहला शमशान साधना, दूसरी शव साधना और तीसरी शिव साधना।

4. अघोर साधना के लिए मस्तिष्क का सक्रिय होना बहुत जरूरी है। पंचकरा-साधना से मानसिक स्थिति को नियंत्रित किया जाता है। इसके लिए गुरु का मार्गदर्शन और खास मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इस विधि के दौरान  गेहूं, मांस-मदिरा सहित कई सामग्रियों की अग्नि में आहुति दी जाती है तथा शिवलता मुद्रा में अघोरी को महिला से संभोग करना होता है। यह विधि करने वाला अघोरी शिव-पार्वती की अराधना करता है।

5.नदियों में उतराते या अधजले शव ये बिना झिझक खाते हैं। कई हठयोगी अघोरी शवों की खोपड़ियों का मांस खाते हैं। शमशान घाट में रात में जलने वाली चिता में से अघोरी शव निकालते हैं और फिर उसे खाते हैं। कई अघोरी चिता में से सिर्फ खोपड़ी निकालकर उसके मांस का सेवन करते हैं। कई अघोरी खाने-पीने के लिए खोपड़ी का इस्तेमाल बर्तन के रूप में करते हैं।

6. अघोरी, साधना को पूरी करने के लिए अघोरी किशोरी या फिर बच्ची की डेड बॉडी रखते हैं। साधना के दौरान अघोरी शव पर ही बैठकर मंत्र पढ़ते हैं।

7. अघोरियो पर किसी भी मौसम का कोई फर्क नहीं पड़ता।शमशान की राख को ये अपने शरीर पर लगाए रहते हैं। जेसे शिव अपने शरीर पर राख लगाते है।

8.बनारस का मणिकर्णिका घाट अघोरियों की पसंदीदा जगह है। कहते हैं कि यहां दाह संस्कार से मोक्ष मिलता है। अत्यधिक भीड़ के चलते यहां दाह संस्कार के लिए 2 से 3 दिन तक का इंतजार करना पड़ता है। यहां चिता में आग लगाने के कुछ ही देर बाद उसे गंगा में बहा दिया जाता है। आसपास बैठे अघोरी यही अधजले शव को खाते हैं।

9.कहा जाता है कि अघोरियों के पास भूतों से बचने के लिए एक खास मंत्र रहता है। इस मंत्र को पढ़ते हुए अघोरी चिता और अपने चारों ओर लकीर खींच देते हैं। फिर तुतई बजाकर साधना करता है। यह पूरी प्रक्रिया भूत-प्रेत-पिशाच और मुर्दे की आत्मा को साधना के दौरान विघ्न डालने से रोकना होता है।

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